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True Jellyfish

Scyphozoa Goette 1887

साइफोजोआ ( Hindi )

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जेली मॉन्टेरी

साइफ़ोज़ोआ (Scyphozoa) प्राणिजगत के निडारिया (Cnidaria) संघ का एक वर्ग है जिसके अंतर्गत वास्तविक जेलीफिश (Jellyfish) आते हैं। ये केवल समुद्र ही में पाए जाने वाले प्राणी हैं। इस वर्ग के जेलीफिश तथा अन्य वर्गों के जेलीफिशों के शारीरीय लक्षणों में अंतर होता है। साधारणतया ये बड़े तथा हाइड्रोजोआ (Hydrozoa) के मेडुसी (medusae) से भारी होते हैं।

अधिकांश साइफ़ोज़ोआ के स्पीशीज़ समुद्र के ऊपरी स्तर पर पाए जाते हैं। ये जलधारा के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं। ये शिकार को दंशकोशिकाओं (nematocysts) की सहायता से शक्तिहीन करके पकड़ लेते हैं। दंशकोशिकाएँ स्पर्शकों (tentacles) के बाहरी हिस्से में पाई जाती हैं। इस प्रकार शक्तिहीन किए गए शिकार को स्पशंक मुँह के पास ले आते हैं, जहाँ वे चूसकर निगल लिए जाते हैं।

परिचय

इस वर्ग का जेलीफिश का जीवनवृत जटिल होता है। किसी-किसी जेलीफिश के अंडे सीधे ही मेडुसा में परिवर्धित हो जाते हैं, परंतु ओरीलिया (Aurelia) नामक जेलीफिश का जीवनवृत्त जटिल होता है। यह विशेष जेलीफिश ब्रिटेन के समुद्रतटीय जल में पाया जाता है। यह एक पारदर्शी मेडुसा है। यह शरीर के घटाकृति भाग के प्रवाह पूर्ण संकुचन से तैरता है। ओलीलिया का निषेचित अंडा मेडुसा (medusa) में परिवर्धित न होकर एक स्पष्ट रचनावाले पॉलिप (polyp) में, जिसे साइफ़िस्टीमा (Scyphistoma) कहते हैं, परिवर्धित होता है। यह तुरही के आकार का एक छोटा जीव है जिसमें सीमांत स्पर्शक (marginal tentacles) लगे रहते हैं। बाद में यह अपने अपमुख सिरे (aboral end) से किसी अन्य आधार से जुड़ जाता है।

साइफ़िस्टोमा मूलिकाओं (rootlets) या देहांकुरों को उत्पन्न करता है जिनसे नए पॉलिश मुकुलित (budded) होते हैं। साइफ़िस्टोमा बहुवर्षीय जीव है। इसमें एक निश्चित अवधि के बाद असाधारण परिवर्तन शुरू होता है। यह परिवर्तन भोजन की कमी अथवा अधिकता के कारण हो सकता है। पहली दशा में साइफिस्टोमा के ऊपरी हिस्से के ऊतक एक चक्रिका सदृश (disc like) रचना में बदल जाते हैं। बाद में यह संरचना पॉलिप से अलग होकर जल में तैरने लगती है। खाद्य पदार्थ की अधिकता के कारण चक्रिकाओं की संयुक्त श्रेणी बन जाती है। संपूर्ण पॉलिप का स्वरूप अब बदल जाता है। ये चक्रिकाएँ परिवर्धित होने के बाद पॉलिप से अलग होकर पानी में तैरने लगती हैं। वस्तुत: ये मेडुसा होते हैं जिनमें आठ भुजाएँ होती हैं। इन मेडुसाओं को एफ़िर (Ephyra) कहते हैं। ये प्रौढ़ औरीलिया से रचना तथा आकार में सर्वथा भिन्न होते हैं। अपवाद स्वरूप ही कोई-कोई चक्रिका मेडुसा के स्थान पर पॉलिप में परिवर्धित होती है।

इस प्रकार का जीवनवृत्त बहुरूपता (polymorphism) का, जिसमें पीढ़ी एकांतरण (alternation of generation) पाया जाता है, एक अच्छा उदाहरण है। स्थायी पॉलिप पीढ़ी का अस्थायी मेडुसा पीढ़ी से नियमित एकांतरण होता है। केवल मेडुसी ही लैंगिक होता है और अंडाणु (ova) तथा शुक्राणु (spermatozoa) उत्पन्न करता है। पॉलिप से मेडुसा बनने का यह तरीका, जो हाइड्रोज़ोआ के मेडुसा परिवर्धन से सर्वथा भिन्न है, साइफ़ोज़ोआ की एक विशिष्टिता है।

साइफ़ोज़ोआ तथा हाइड्रोज़ोआ के मेडुसी में मुख्य अंतर यह है कि साइफ़ोज़ोआ के मेडुसी में, वीलम (velam) अनुपस्थित रहता है, आमाशय में आमाशयी तंतु (gastric filaments) उपस्थित रहते हैं तथा आमाशय के भीतरी कोष्ठों से बने आंतरिक जनन अंग पाए जाते हैं जबकि हाइड्रोज़ोआ में ऐसा नहीं होता।

बाहरी कड़ियाँ

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साइफोजोआ: Brief Summary ( Hindi )

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साइफ़ोज़ोआ (Scyphozoa) प्राणिजगत के निडारिया (Cnidaria) संघ का एक वर्ग है जिसके अंतर्गत वास्तविक जेलीफिश (Jellyfish) आते हैं। ये केवल समुद्र ही में पाए जाने वाले प्राणी हैं। इस वर्ग के जेलीफिश तथा अन्य वर्गों के जेलीफिशों के शारीरीय लक्षणों में अंतर होता है। साधारणतया ये बड़े तथा हाइड्रोजोआ (Hydrozoa) के मेडुसी (medusae) से भारी होते हैं।

अधिकांश साइफ़ोज़ोआ के स्पीशीज़ समुद्र के ऊपरी स्तर पर पाए जाते हैं। ये जलधारा के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं। ये शिकार को दंशकोशिकाओं (nematocysts) की सहायता से शक्तिहीन करके पकड़ लेते हैं। दंशकोशिकाएँ स्पर्शकों (tentacles) के बाहरी हिस्से में पाई जाती हैं। इस प्रकार शक्तिहीन किए गए शिकार को स्पशंक मुँह के पास ले आते हैं, जहाँ वे चूसकर निगल लिए जाते हैं।

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